कानून-व्यवस्था में कम्युनिकेशन रीढ़ की तरह : डीजी टेलीकॉम

लखनऊ। कानून-व्यवस्था में कम्युनिकेशन (संचार) एक रीढ़ की तरह और एक लाइफ लाइन है। यदि सही समय पर सूचना प्राप्त होती है तो पुलिस की कार्रवाई की भूमिका अत्यंत कारगार होगी। संचार व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से ‘पुश टू टॉक ओवर सेलुलर (पीओसी) कम्युनिकेशन का ट्रायल लखनऊ और वाराणासी जोन में किया जा रहा है। पुश-टू-टॉक कम्युनिकेशन के तहत 300 मिली सेकेंड के अंतराल में कॉल कनेक्ट हो जायेगी। जबकि मोबाइल व पुलिस वायरलेस को कनेक्ट होने में तीन सेकेंड से अधिक का समय लगता है। यदि बेहतर रिजल्ट मिलेंगे तो इसे व्यापक स्तर पर पुलिस विभाग में शामिल किया जाएगा। यह बातें रिजर्व पुलिस लाइन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान डीजी टेलीकॉम डा.संजय एम तराडे ने कही हैं। इस अवसर पर पुलिस के आलाधिकारी और कर्मचारीगण मौजूद रहे।

वायरलेस सेट के साथ ही दूसरे विकल्प के रूप में होगा इस्तेमाल

मोबाइल फोन को ऐप के माध्यम से वायरलेस सेट की तरह से उपयोगी बनाने के सम्बन्ध में सोमवार को रिजर्व पुलिस लाइन स्थित संगोष्ठïी सदन में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डीजी टेलीकॉम डा.संजय एम तराडे ने बताया कि मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में पुलिस संचार सिस्टम को उच्चीकृत किए जाने पर विचार-विमर्श किया गया था। सरकार की मंशा के अनुरूप  तकनीक के बदलते दौर में ‘पुश टू टॉक ओवर सेलुलर (पीओसी) कम्युनिकेशन का ट्रायल कांवड यात्रा के दौरान मेरठ और बरेली जोन में किया गया था।

दोनों जोन में सफलता मिलने के बाद प्रदेश की राजधानी लखनऊ और वाराणासी जोन में पुश-टू-टॉक कम्युनिकेशन  का ट्रायल किया जा रहा है। इस अवसर पर वायरलेस सेट आधारित संचार व्यवस्था के समानान्तर क्यूआर कोड बेस्ड ऐप ‘पुश टू टॉकओवर सेलुलर (पीओसी) प्रोजेक्ट का लाइव ट्रायल भी किया गया। डीजी टेलीकॉम डा.संजय एम तराडे ने बताया कि एक समय में एन टू-वन या ग्रुप से कनेक्ट होकर किसी भी सूचना को फौरान आपस में साझा कर सकते हैं।

इतना ही नहीं इसके माध्यम से फोटो व वीडियो भी पलक झपकते ही साझा किया जा सकता है। खास बात यह है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है और इसे हैकर हैक नहीं कर सकते। अगर ट्रायल बेहतर साबित हुआ तो वायरलेस  सेट के साथ ही दूसरे विकल्प के रूप में पुश-टू-टॉक कम्युनिकेशन का इस्तेमाल कानून-व्यवस्था के इकबाल को बुलंद करने में काफी कारगर साबित होगा। इस अवसर पर संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था उपेन्द्र कुमार अग्रवाल,संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय आकाश कुलहरि, उप महानिरीक्षक तकनीकी सुनील कुमार शुक्ला समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

पुलिस विभाग के लिए तैयार किया गया स्पेशल ऐप

डीजी टेलीकॉम ने बताया कि मोबाइल ऐप की तरह इसे इंस्टॉल कर कम्युनिकेशन के लिए प्रयोग किया जायेगा। यह ऐप पब्लिक के लिए नहीं बल्कि सिर्फ पुलिस विभाग के लिए बनाया गया है। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर या अन्य प्लेटफार्म पर उपलब्ध नहीं है। डीआईजी टेक सुनील शुक्ला ने बताया कि इस तकनीकी के इस्तेमाल में बड़े-बड़े एंटीना की आवश्यकता नहीं होती। वायरलेस  सेट के लिए रैंज होना आवश्यक है लेकिन पुश-टू-टॉक उस स्थान से भी कनेक्ट हो जायेगा जहां सिग्नल बहुत ही कम हो।

ट्रैफिक सुधार और दंगा फसाद के नियंत्रण में मुफीद

डीजी टेलीकॉम ने बताया कि कानून-व्यवस्था के साथ ही इसका इस्तेमाल ट्रैफिक व्यवस्था में बेहतर साबित होगा। इसके अलावा किसी भी गातिविधि का पलक झपकते कम्युनिकेशन के साथ ही फोटो,वीडियो संबंधित अफसरों को भेजा जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल का दंगा फसाद की स्थिति को भी नियंत्रण में करने के साथ ही आगे बढऩे से रोकने में काफी मदद मिलेगी।
पुश-टू-टॉक सिस्टम टू-जी नेटवर्क पर भी बेहतर काम करता है। यह क्लाउड बेस अर्कीटेक्चर व्यवस्था पर आधारित है। पुश-टू-टॉक का बेहतर इस्तेमाल कानून-व्यवस्था के साथ ही मुख्यमंत्री और हाई सिक्यूरिटी सुरक्षा व्यवस्था में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

आपातकालीन स्थिति में नेटवर्क सिस्टम नहीं होगा बंद

डीजी (दूरसंचार) ने बताया कि इस सिस्टम में ऐसे सिम का प्रयोग किया जायेगा। जिसका नेटवर्क कभी बंद नहीं रहेगा। आपातकालीन स्थिति में भी नेटवर्क सिस्टम बंद नहीं होगा। बार कोड के जरिए इंस्टाल कर इसका उपयोग एक समय ग्रुप या फिर एन-टू-वन कर कनेक्ट होकर संदेशों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। इसके अलावा मोबाइल फोन में ऐप के माध्यम से जनपदीय व गैर-जनपदीय संचार सम्पर्क किया जा सकता है। सभी उपयोगकर्ताओं का लाइव लोकेशन प्रदर्शित होगा। किसी भी घटना स्थल का लाइव लोकेशन व वीडियो पुलिस उच्चाधिकारी देख सकते हैं।